अगर बंगाल की संस्कृति देखनी है तो आइए बारासात

आमतौर पर बंगाल का नाम सुनते ही आपके जहन में सबसे पहले क्या आता है? बंगाली रसगुल्ला, बंगाल टाइगर या फिर कोई बंगाली कलाकार। चलिएहम आपको बंगाली संस्कृति की एक अलग पहचान बताते हैं।



बारासात अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डे के निकट तथा देश की राजधानी कोलकाता के करीब स्थितबंगाली संस्कृति का एक केंद्र है, जहां दुर्गा और काली पूजा के दौरान हलचल रहती है, यह सौहार्दपूर्ण हिन्दू मुस्लिम समुदाय के लिए एक आदर्श स्थान है, स्थानीय मूल्यों का उपदेश देते आश्रमों से भरा हैइस में कोई शक नहीं कि बारासात पर्यटन ने कोलकाता के स्थानीय लोगों का और दुनिया भर के पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। 


बारासात एक ऐसी जगह है, जहां जाकर आपको बंगाल की एक नई परिभाषा देखने को मिलेगी। बारासात में न सिर्फ आपको घूमने-फिरने की खूबसूरत जगह मिलेगी, बल्कि यहां के जायके भी आपको बेहद खास लगेंगे।


बारासात की सैर और यहां की स्थानीय संस्कृति बारासात शहर तक पहुंचना बहुत आसान है और यहां के कई स्थानीय लोग इसे बड़े कोलकाता का एक हिस्सा मानते हैं। हैरत की बात है, कि पश्चिम बंगाल में बांग्लादेशियों के आप्रवास के बावजूद बारासात के स्थानीय लोगों एक बेहतर सांस्कृतिक माहौल बनाने कामयाब रहे हैं। यह हजरत इकदिल शाह का समाधि स्थान है, वे एक मुस्लिम विद्वान थे, तथा यह स्थानीय मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है। क्या बेहतर है? हिंदू और मुसलमान समान रुप से संत हजरत इकदिल शाह की स्मृति में आयोजित होने वाले वार्षिक मेले में भाग लेने आते हैं।


बंगाली संस्कृति की झलक


बारासात बंगाली संस्कृति का एक केंद्र है, जहां दुर्गा और काली पूजा के दौरान काफी रौनक रहती है, बारासात पर्यटन ने कोलकाता के स्थानीय लोगों का और दुनिया भर के पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। दुर्गा पूजा के दौरान आपको यहां कई विदेशी देखने को मिलेंगे।


कहां ठहरें


बारासात में कई गेस्ट हाउस हैं, लेकिन अगर आपको लक्जरी होटल चाहिए, तो आप कोलकाता में ठहर कर दिन के समय यहां घूमने आ सकते हैं।


क्या है खास


अगर आप बारासात आ रहे हैं, तो यहां घूमने-फिरने के साथ यहां के जायकों को न भूलें। आपको यहां स्ट्रीट फूड के बेहतरीन जायके चखने को मिलेंगे।


घूमने का बेस्ट टाइम


आप यहां नवम्बर से मार्च महीने में आ सकते हैं। मौसम खुशनुमा रहता है।